गुप्तरत्न : सोच  लो  एक बार पहले किसी को  गिराने से,उसी ज़मीं ...

गुप्तरत्न : सोच  लो  एक बार पहले किसी को  गिराने से,
उसी ज़मीं ...
: सोच  लो  एक बार पहले किसी को  गिराने से, उसी ज़मीं पे खड़े हो, खुदा देर न करेगा ठोकर लगाने से ll मुझे तो फक्र है इस चाहत  की शिद्धत पे , ...

"गुप्त रत्न "
" भावनाओं के समंदर मैं "

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