न जाने जहाँ कोई हमें,साथ तेरे ऐसी ही जगह जाना हैll

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "न जाने जहाँ कोई हमें,साथ तेरे ऐसी ही जगह जाना हैll 

ज़रों का धोखा है धुंध का ज़माना है,
अपनी गलती कौन सुने ऐसा ही ज़माना है ll

माना की तेरे चाहने वाले कम नहीं,
क्या कोई मुझसा तुम्हे चाहेगा,तुमको ही ये बताना है ll

कडवाहट जुवान तक हो तो ठीक भी ,
मिजाज़ बन जाएँ जब ये,तो मुश्किल फिर निभाना है ll

तेरी आवाज़ मैं नशा या आँखों मैं ज़्यादा,
बता अब काम ये तेरा ही, मुझको समझाना है ll

सही है ,दोस्त कहे भी तो तुम्हे कैसे?
तुम्हारा तो शौक है दुश्मनों की तरह हमें सताना है ll

दिल की मजबूरी देखो मेरी भी "रत्न"
दोस्त छोड़कर इसको दुश्मन की ही याद आना है ll

शहूर हो लोग जानते है तुम्हे ,
न जाने जहाँ कोई हमें,साथ तेरे ऐसी ही जगह जाना हैll

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