Guptratn: पिता
Guptratn: पिता: "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " दिनभर मेहनत की आग में जलता है , अपना सुख चैन सब एक किनारे रखता है / तब कही बेटे के ...
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गुप्तरत्न "भावनाओं के समन्दर मैं" मेरे सजदों की बस इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न,और कही सर रत्न का झुके न ए मालिक । © hindi_poetry,poem based on feelings and emotion. हिंदी कविताओं का एक पेज,जिसमे भावनाओं में डूबे अल्फाज़ मिलेंगे ,कुछ दर्द तो कुछ मुहब्बत के पास मिलेंगे .© all the writing work is my own ©
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