#सुना गुप्तरत्न ने तुझे तेरी आवाज़ में
#सुना गुप्तरत्न ने तुझे तेरी आवाज़ मे © |
रत्न"
अभी और एक मुद्दत लगेगी ,हमें इस हालत में आने में,
की जहाँ तू सामने हो,और ज़ुबान साथ दे हाल-ए-दिल बताने में।
Abhi aur ek muddat legegi ,hmen is haalat mein aane mien,
ki jahan saamne tu ho,aur juban saath de Haal-E-Dil bataane mein,
होता कहाँ है इतना ?,सब खत्म हो जाता है ,वक़्त
कुछ तेरे सीने से लगने में,और तुझे गले लगाने में,।
Hota kahan hai,Itna? Sab kahatm ho jaata hai,Waqt,
Kuch tere seene se lange Mein,Aur tujhe gale lagaane mein.
जाने कितने ही मौसम गुज़र गए यूँ ही,
हमें अपना बताने में,और तुम्हे अपना हाल-ए-दिल छिपाने में।
Jaane Kitne hi Mousam Gujar gaye yun hi,
hmen apna Hal-E-Dil batane mein aur tumhe apna chipaane mein,
बेमकसद ,बेमंज़िल सफर है,मुसाफिर जानते है मगर,
फिर भी बुरा न लगा दोनों को,इन राहों पे आने-जाने से।
bemaksad,Bemanzil safar hai,Musafir jaante They mangar,
Fir Bhi Bura N laga dono ko,In raahon pe aane-jaane se .
मुनासिब भी लगा,और पसंद भी आया गुफ्तगू का ज़रिया ये,
पढ़ा तूने मुझे मेरे लफ़्ज़ों में,सुना मैंने तुझे तेरी आवाज़ में,गीत में तेरे हर एक तराने में॥
Munasib bhi laga,aur pasand bhi aaya Guftgu ka Zariya Ye,
Padha tune mujhe mere Lafzon mein,Suna maine Tujhe Teri Aawaz Mein,Geet Mein Har Ek Taraane Mein.
अभी और एक मुद्दत लगेगी ,...............................
Abhi aur ek muddat legegi ..................
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