नहीं सीखनी ऐसी दुनियादारी


गुप्तरत्न : जिसमे झूठ ,बईमानी और हो मक्काकरी ,
रहने दो जी, हमे...: 
जिसमे झूठ ,बईमानी और हो मक्काकरी ,
 रहने दो जी, हमें नहीं सीखनी ऐसी दुनियादारी ll
 वो सच छुपा जाते है, हर किसी से ,वाह कहाँ से सीखे हम , ..."©"

"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "
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