नहीं सीखनी ऐसी दुनियादारी
गुप्तरत्न : जिसमे झूठ ,बईमानी और हो मक्काकरी ,
रहने दो जी, हमे...:
जिसमे झूठ ,बईमानी और हो मक्काकरी ,
रहने दो जी, हमें नहीं सीखनी ऐसी दुनियादारी ll
वो सच छुपा जाते है, हर किसी से ,वाह कहाँ से सीखे हम , ..."©"
"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "
https://draft.blogger.com/blog/page/edit/4696555860969717029/2175245909113323548
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें