गुप्तरत्न :वो तेरा ख्याल की जी न सकेगी बिन तेरे "रत्न "
"गुप्त रत्न "
" भावनाओं के समंदर मैं "
क्या बताएं दिल मैं क्या -क्या छिपाए बैठे है ,
दिल मैं वो तेरे, सारे सितम छिपाए बैठे है ll
दिखता है रोशन, मेरा घर बाहर से जमाने को ,
क्या दिखाए अन्दर कितना तम छिपाए बैठे है ll
मलहम भी कैसे लगाएगा ,अब आकर कोई ,
हम भी तो, दिए तेरे सारे ज़ख्म छिपाए बैठे है ll
मेरी मुस्कराहट पर फ़िदा है , तो ज़माना सारा
देख न पायेगा कोई , कितने गम छिपाए बैठे है ll
वो तेरा ख्याल की जी न सकेगी बिन तेरे "रत्न "
जियेंगे तेरे बिन,अब भी खुदमे दम छिपाए बैठे है ll
क्या बताएं दिल मैं क्या -क्या छिपाए बैठे है ,
दिल मैं वो तेरे, सारे सितम छिपाए बैठे है ll
दिखता है रोशन, मेरा घर बाहर से जमाने को ,
क्या दिखाए अन्दर कितना तम छिपाए बैठे है ll
मलहम भी कैसे लगाएगा ,अब आकर कोई ,
हम भी तो, दिए तेरे सारे ज़ख्म छिपाए बैठे है ll
कितने गम छिपाए बैठे है |
मेरी मुस्कराहट पर फ़िदा है , तो ज़माना सारा
देख न पायेगा कोई , कितने गम छिपाए बैठे है ll
वो तेरा ख्याल की जी न सकेगी बिन तेरे "रत्न "
जियेंगे तेरे बिन,अब भी खुदमे दम छिपाए बैठे है ll
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