गुप्तरत्न : मौसम बदला,आई भी बहार है ,मन सूना है ,बाहर झंकार ह...

गुप्तरत्न : मौसम बदला,आई भी बहार है ,
मन सूना है ,बाहर झंकार ह...
: मौसम बदला,आई भी बहार है , मन सूना है ,बाहर झंकार है ll ये कैसा दांव लगा बैठे,  हम जीता  न तू ,न मेरी ही हार है ll अभी तलक  हम अलग नही...

"गुप्त रत्न "
" भावनाओं के समंदर मैं "

टिप्पणियाँ