#गुप्तरत्न : इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी खुद पा न सक...

गुप्तरत्न : इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी खुद पा न सक...: इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी खुद पा न सकें, छुप जाएँ तेरी बाहों मैं कुछ यूँ,की किसी को नज़र आ न संकेll ए खुदा क्यूँ ? मैं ही तड़...

"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "

टिप्पणियाँ