मुन्तजिर है तेरी एक इजाजत के
"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "
आग भी ठंडी हो जाती है आकर इन हाथों में मारे घबराहट के ..............
आग भी ठंडी हो जाती है आकर इन हाथों में मारे घबराहट के ..............
गुप्तरत्न "भावनाओं के समन्दर मैं" मेरे सजदों की बस इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न,और कही सर रत्न का झुके न ए मालिक । © hindi_poetry,poem based on feelings and emotion. हिंदी कविताओं का एक पेज,जिसमे भावनाओं में डूबे अल्फाज़ मिलेंगे ,कुछ दर्द तो कुछ मुहब्बत के पास मिलेंगे .© all the writing work is my own ©
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