#गुप्तरत्न : होश रहता है कहाँ मुझे तेरी आगोश में ।।
गुप्तरत्न : होश रहता है कहाँ मुझे तेरी आगोश में ।।: माफ़ी शब्द नहीं मेरे शब्दकोष मैं, चाहो तो जोड़ लो ,इसे मेरे इक और दोष में , तेरे सीने से लगकर भूल गई,हकीक़त-ए-जिंदगी, गलती कर गई मै...
"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "
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