अपनी कद्र खुदको बता रहे है हम
"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "
अपनी कद्र खुद्को बता रहें है,हम
की थोडा वक़्त अब खुद्के साथ बिता रहे है हम l
तुझे न सोचूं ये मेरे वश में तो नही ,
फिर भी खुद्को समझा रहे हम।।
डूबने की चाह्त तो थी हमको "रत्न"
लेकिन फिर भी खुद्को तैरना सिखा रहे है हम।।
इल्जाम क्यूँ दूं, तुमको किसी बात का,
कि खुदको तो खुद ही सता रहे है हम
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