शिक्षा में सादगी और विश्वास -गुप्तरत्न

"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "
शिक्षा में सादगी और विश्वास

जब तक न होगा  व्यहवहार आपका सादा ,
जब तक न पहुंचोगे ह्रदय द्वार तक ,न खुलेगा विद्यार्थी के मन का दरवाज़ा ॥
होगी न शिक्षा पूरी ,न होगा दायित्व हमारा पूरा ,
रह जाएगी शंकाएं ,रहेगा विश्वास हम पे आधा ॥
बहने दो पानी को खुलकर, न बांधो इसका,
बाल -ह्रदय की उन्मुक्त भावनाएं बहने दो न बनो इनमे बाधा॥
तुम बनो गुरु ऐसे जिसका,ह्रदय सरल हो और बाल मित्र हो ,
थोड़ा डाँटो कभी उनको ,कभी खेलो उनके संग भी ज्यादा ॥
कह दो सारी बातें खेल खेल में ,दे दो मन्त्र सारे पाठों के ,
कभी बनो तुम कृष्णा -सुदामा ,कभी सुनाओ पुराने आदर्शो की गाथा ॥


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