दुश्मन दिल का दिया

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

अब अल्फ़ाज़ नहीं बचे , आपको समझाने,
यूँ भी वाकी न रहा ,   कुछ आपको बताने ,

माना नही  आता ,    इज़हार-ए-हाल ,बयां 

नादां नही आप की  जरुरत है,  ये जताने 

लग गया .अब करें भी तो क्या हम ,कहो 

तुम बता दो, तरीका दिल तुमसे ये हटाने 

दोस्तों की क्या कमी थी,दर्द देने के लिए 

दुश्मन दिल का दिया ,खुदा  मुझे सताने 

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