ये वक़्त तो गुजरने दो ,ये उम्र तो जरा ढलने दो ,
देखूंगी प्यार तेरा ,मेरा ये रंग तो जरा उतरने दो ,
बड़ी बेपरवाह होती है ,जवानी की ये नदियां ,
तैरना तुम ,इनका पानी तो जरा उतरने दो .

अभी तो ये आइना मुस्कुराता है मुझको देखकर ,
देखूंगी तेरी भी आँखों मैं अपना ये रूप .
इन आइनो को तो जरा मुझसे मुकरने दो ,

तेरे कांधो पर नहीं ज़िम्मेदारिया अभी ,
मेरी आज़ादियों पर नहीं पाबंदिया अभी ,
देखूंगी बेचैनियों को, हक़ीक़त बताएगी सब ,
इन पर बोझ और पाबंदिया तो बढ़ने दो ,

अभी सब धुंधला है प्यार  के इस कोहरे मैं ,
साफ नज़र आएगा ,जरा धुप तो खिलने दो

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