"गुप्तरत्न " : इज़हार -ए- मुहब्बत अब तू सिखा दे,कैसे कहूँ,कोई भाष...

"गुप्तरत्न " : इज़हार -ए- मुहब्बत अब तू सिखा दे,
कैसे कहूँ,कोई भाष...
: इज़हार -ए- मुहब्बत अब तू सिखा दे, कैसे कहूँ,कोई भाषा अब तू सिखा दे ll तेरे सामने आते ही लग जाते है ताले, कहाँ मिलेगी चाबी जुबां की तू...

"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

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