"गुप्तरत्न " : दुनिया तेज़ चली या मुझमे ही कम रफ़्तार थी,मैं रह गई,...

"गुप्तरत्न " : दुनिया तेज़ चली या मुझमे ही कम रफ़्तार थी,मैं रह गई,...: दुनिया तेज़ चली या मुझमे ही कम रफ़्तार थी, मैं रह गई,छंट गई ,जो खुशियाँ पाने कड़ी कतार थीll थोड़ी सी तू हिम्मत करता तो जुदा होती दास्ताँ...

"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

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