"गुप्तरत्न " : सब्र मेरा टूट रहा है,इतना भी न तरसाइए जनाब,llमर न...

"गुप्तरत्न " : सब्र मेरा टूट रहा है,इतना भी न तरसाइए जनाब,ll
मर न...
: सब्र मेरा टूट रहा है, इतना भी न तरसाइए जनाब,ll मर न जाऊँ तड़पकर, अब सीने से लगाइए जनाब ,ll खेल मैं टूट न जाऊं, इतना भी न झुका...

"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

टिप्पणियाँ