"गुप्तरत्न " : बहुत हुआ,गुज़रे वक़्त से अब है निकलना ,कैद ख्यालों क...

"गुप्तरत्न " : बहुत हुआ,गुज़रे वक़्त से अब है निकलना ,कैद ख्यालों क...: बहुत हुआ,गुज़रे वक़्त से अब है निकलना , कैद ख्यालों की , तोड़कर है  निकलना ll कभी कहाँ बिगड़ी रंगों पर तबियत मेरी , फितरत है,काले रंग ...

"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

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