"गुप्त रत्न "
" भावनाओं के समंदर मैं "
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कहाँ है ?बेईमान दुनिया मैं ईमान ढूँढती है
मिलना मुश्किल है,फिर भी सच्चा इसान ढूँढती है //
जिसका हो सच्चा इकतरफा चेहरा, दिल की बोलें ऐसी जुबान ढूँढती है//
कोई आकर बस जाएँ ऐसा, खाली घर है अच्छा मेहमान ढूँढती है//
मन के अन्दर शोर बहुत है,खुदकी सुनना मुश्किल है,
सुनकर जिसको तनमन पिघले,ऐसी मधुर तान ढूँढती है//
सबकी आँखे झूठ बोलती,पढ़ पढ़ के "रत्न" थक गई ,/
नज़रो मैं मिल जाएँ किसी के,वो सच्चा पैगाम ढूँढती है //
गुप्त रत्न
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कहाँ है ?बेईमान दुनिया मैं ईमान ढूँढती है
मिलना मुश्किल है,फिर भी सच्चा इसान ढूँढती है //
जिसका हो सच्चा इकतरफा चेहरा, दिल की बोलें ऐसी जुबान ढूँढती है//
कोई आकर बस जाएँ ऐसा, खाली घर है अच्छा मेहमान ढूँढती है//
मन के अन्दर शोर बहुत है,खुदकी सुनना मुश्किल है,
सुनकर जिसको तनमन पिघले,ऐसी मधुर तान ढूँढती है//
सबकी आँखे झूठ बोलती,पढ़ पढ़ के "रत्न" थक गई ,/
नज़रो मैं मिल जाएँ किसी के,वो सच्चा पैगाम ढूँढती है //
गुप्त रत्न
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