"गुप्त रत्न "
" भावनाओं के समंदर मैं "
कभी दर्द बताते है ,तो कभी करते है इश्क़ का इज़हार भी।।
कहि लगा दे मलहम छलिनी दिल पर ,कहि तलवारो से गहरे करते वार भी।।
कहि दिखा दे प्यार ये ,कहि इनसे ही होता व्यापार भी।।
नापोगे गहराई जो इनकी,कभी डूबा दे ,कभी लगा दे पार भी।
गुप्त रत्न
गुप्त रत्न
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