"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "


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मिट जाएगी ग़लतफ़हमी,
एक बार देख ले झाकंकर,अपने अन्दर //

गुमान, की आदत है पानी की,
डुबाता है बड़े तैराक ही अक्सर समन्दर //

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