मझधार मेरी ज़िन्दगी है ,अब
की किनारे अच्छे नहीं लगते ,
मैं जीतूंगी या नहीं ,नहीं मालूम ,
पर तुम हारे अच्छे नहीं लगते ,
बस आवाज़ सुने मेरी वो खुदा अब,
की और सहारे अच्छे नहीं लगते ,
तेरा साथ चांदनी है मेरे लिए ,अब
की  सितारे अच्छे नहीं लगते ,
मेरी नज़रो मैं बसे हो ,जो तुम ,अब
की मुझे और नज़ारे अच्छे नहीं लगते

































































































































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