इतनी पिला मुझे की होश कम भी न रहे ,........


इतनी पिला मुझे की होश कम  भी न रहे ,
जो होश न रहे तो मुझको कोई गम भी न रहे ,

होश  जो रहा तो तलाश करती रहूंगी सुकून को ,
इतनी पिला मुझे की मुझ पर ये सितम भी न रहें ,

इतनी पिला मुझे की होश कम  भी न रहे ,........

मेरे यकीन उन पर,, उनके धोखे मेरे यकीन पर ,
अब हो कोई राह, की वफ़ा का वहम भी न रहें ,

इतनी पिला मुझे की होश कम  भी न रहे ,......

कब तक करेगा अहसान मुझ पर ए  दोस्त तू ,
की एक बार दे ज़हर की ,बाकि दम भी न रहे ,
जो  न रहे  "रत्न "तो कोई गम भी  न रहे ,


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