ग़ज़ल "गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : मझधार मेरी ज़िन्दगी है ,अबकी किनारे अच्छे नहीं लगत...

ग़ज़ल "गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : मझधार मेरी ज़िन्दगी है ,अब
की किनारे अच्छे नहीं लगत...
: मझधार मेरी ज़िन्दगी है ,अब की किनारे अच्छे नहीं लगते , मैं जीतूंगी या नहीं ,नहीं मालूम , पर तुम हारे अच्छे नहीं लगते , बस आवाज़ सुने मेरी...

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