किसने गुजारी ,ज़िन्दगी तनहा जो हम गुज़ार लेंगे ,
पड़ेगी जरुरत जब साथ की, तो तेरा नाम लेंगे ,
हर निगाह खोजती है ,सहारा यारों यहाँ ,
की गिरेंगे जब हम भी,तो तेरा हाथ थाम लेंगे ,
किसने गुज़ारी ,ज़िन्दगी तनहा जो.. . . . . . .
मैं तुम्हारी नहीं क्यों गम करते हो ,इसमें ,
बात होगी अपनों की ,तो हम तेरा नाम लेंगे ,
हम कब कहते है ,गुज़ार लेंगे ज़िन्दगी तनहा ,
जो न गुज़र सकी तब ये इकरार कर लेंगे ,
हम मुसाफिर है नए ,और राहों का आलम ये ,
खाएंगे गर ठोकर तो तुम्हे याद कर लेंगे ,
हालात ये दिल के ,कहते ही बने न सहते ही ,
सुकून मिलेगा ,बोझ जब दिल का उतार लेंगे
हार कर जहाँ से , पुकारेंगे जब तुमको हम ,
वक़्त पर तेरे मिज़ाज़ भी "रत्न "जान लेंगे ,
किसने गुज़री ज़िन्दगी तनहा
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