"गुप्त रत्न" मुझे उन राहों पर अब फिर ...
मुझे उन राहों पर अब फिर ...: मुझे उन राहों पर अब फिर न ले जाना , तुम्हारा प्रेम मेरे लिए अब मत बताना , पहले ही टूटी हुईं हूँ ,दिल की चोटों से...
गुप्तरत्न "भावनाओं के समन्दर मैं" मेरे सजदों की बस इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न,और कही सर रत्न का झुके न ए मालिक । © hindi_poetry,poem based on feelings and emotion. हिंदी कविताओं का एक पेज,जिसमे भावनाओं में डूबे अल्फाज़ मिलेंगे ,कुछ दर्द तो कुछ मुहब्बत के पास मिलेंगे .© all the writing work is my own ©
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