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नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है

मत पूछों मुझे क्या क्या रोकता है , #guptratn kya kya rokta hai

"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " न पूछो मुझे क्या क्या रोकता है , बुलाता है स्कूल /ऑफिस मगर जाने से  बहुत कुछ रोकता है l  न पूछों मुझे क्या -क्या रोकता है , गर्म रज़ाई , नरम बिस्तर रोकता है, ठण्ड में तापमान का ये गिरता हुआ स्तर रोकता है ,  मत पूछों मुझे----------- सर्द हवाएं ठण्ड , ये मौसम नम रोकता है , थोड़ी देर और सो जाऊं ,ये मन रोकता है।  जैसे तैसे निकल जाता/जाती  हूँ घर से , सड़को पर चाय -पकोड़े की महक, और  ये बनाने वाला बिन कहे रुकने को टोकता है , पीछा छुड़ाके जो चल भी  दूँ आगे में , तो निकलने नहीं देता ,  सड़कों पे लगा ये ट्रैफिक रोकता है  मत पूछों मुझे क्या क्या रोकता है , बुलाता है स्कूल मगर बहुत कुछ जाने से रोकता है।  

sharab kya hoti hai ,kitne rang aate jaate hai

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reel viral ho gaye, ek muddat lagi tere dil tak

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Shayri

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#guptratn फिर आशिक़ सुबह और शाम नहीं देखते,

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "                                तो फिर आशिक़ सुबह और शाम नहीं देखते, अपनी ज़िद पर आ जाएँ ,तो फिर कुछ नहीं देखते, देखने के लिए तड़पते थे कभी जिनको,उनको भी पलटकर नहीं देखते  दिल नाज़ुक इतना की क्या कहें हम, रहम दिल जानवर और इंसान नहीं देखते , करने पर आये जो नेकी किसी की , तो अपना नफा - नुकसान-  नहीं देखते  मकसद मान लिया सफर को,जिसने ज़िंदगी का, चलते रहते है, वो महफ़िल और राह-ए-वीरान नहीं देखते, गर मिलने की तड़प और तलब हो दिलों में, तो फिर आशिक़ सुबह और शाम नहीं देखते, जिनकी फितरत में हो नेक - नियति और भलाई का ज़ज्बा, वो नेकी करते वक़्त,अपना और अनजान नहीं देखते।  अपनी ज़िद पर आ जाएँ ,तो फिर कुछ नहीं देखते