#GUPTRATNगुप्तरत्न : दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी ,
गुप्तरत्न : दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , : बहुत दूर तक आ गए ,अब मुश्किल है वापसी , दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , किसी और से दिल लगा भी लेते , पर सूरत ही मिली,न स... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "