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#GUPTRATNगुप्तरत्न : दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी ,

गुप्तरत्न : दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , : बहुत दूर तक आ गए ,अब मुश्किल है वापसी , दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , किसी और से दिल लगा भी लेते , पर सूरत ही मिली,न स... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न :#वक़्त देना होगा मुझे

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गुप्तरत्न : "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

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गुप्तरत्न : मेरी पसंद लाजवाब है

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ख़ामोशी की गहराई में

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मै i#गुप्तरत्न                                    #गुप्तरत्न GUPTRATN मेरे सजदों की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक,तेरे दर से उठे न,और सर गुप्तरत्न का कही झुकें न ए मालिकl Guptratn भावनायों के समन्दर में VISIT PROFILE Archive Labels Report Abuse