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गुप्तरत्न : की मेरी दिल-ए-ज़मीं को गलत इन्साफ करते नहीं आता ll

गुप्तरत्न : की मेरी दिल-ए-ज़मीं को गलत इन्साफ करते नहीं आता ll : माफ़ कर देना मुझे की मुझे माफ़ करना नहीं आता , ख़राब आदत है ,आग दिल की बुझाकर इसे राख करना नहीं आता ll सहेज़ कर रखती हूँ अल्फाज़ों को मैं , ... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

जाने जहाँ कोई हमें,साथ तेरे ऐसी ही जगह जाना हैll...

गुप्तरत्न : न जाने जहाँ कोई हमें,साथ तेरे ऐसी ही जगह जाना हैll... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " न जाने जहाँ कोई हमें,साथ तेरे ऐसी ही जगह जाना हैll  नज़रों का धोखा है धुंध... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "