गुप्तरत्न : की मेरी दिल-ए-ज़मीं को गलत इन्साफ करते नहीं आता ll

गुप्तरत्न : की मेरी दिल-ए-ज़मीं को गलत इन्साफ करते नहीं आता ll: माफ़ कर देना मुझे की मुझे माफ़ करना नहीं आता , ख़राब आदत है ,आग दिल की बुझाकर इसे राख करना नहीं आता ll सहेज़ कर रखती हूँ अल्फाज़ों को मैं , ...

"गुप्त रत्न "
" भावनाओं के समंदर मैं "

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