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#kahani ka aakhri adhyaay

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

जाने क्यूँ उसको सोचकर #jaanekyunuskosochkar

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YouTube link   जाने  क्यूँ उसको सोचकर   © जाने  क्यूँ उसको सोचकर   मेरे चेहरे पर मुस्कराहट सी आ जाती है , वो न था ,न हो सकता था कभी मेरा , फिर भी,जाने क्यूँ उसको सोचकर   गर्मी में  भी ठंडी हवाओं सी सरसराहट सी आ  जाती है , क्या है उससे मेरा वास्ता ,वो तो में भी न जान पायी , फिर भी,जाने क्यूँ उसकोसोचकर  , गर्मी की जलती रेत में  भी हलकी तरावट सी आ जाती है , यूँ तो रोशनी है हर तरफ मेरे फिर भी,जाने क्यूँ उसको सोचकर  , दिल के अँधेरों में एक जगमगाहट सी आ जाती है // ©

#गुप्तरत्न ये जो #कहानी है,इसको अब यूँ रहने देते है ,

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " माना की पहले सा ,तेरी गलियों में, आना जाना नहीं, पर ये भी यकीं  रख, तेरे  दिल  के  सिवा  मेरा कोई  और ठिकाना भी नहीं।  maana ki pahle sa teri galiyon mein,mera aana jaana nahi, par ye bhi yakin rakh,dil ka tere siva koi aur thikaana bhi nahi, तुझसे नाराज़ हो जाऊं,ये मेरे वश में था ही नहीं, कभी पर अब दिल में है तो कुछ,मुझे भी नहीं पता क्या ?और तुझे समझाना भी नहीं।  Tujhse naaraz ho jaayun,ye mere vash mein tha hi nahi kabhi, ab kuch dil mein hai to,Mujhe bhi nahi pata tujhe samjhaana bhi nahi. इक आज़ादी की किरण सी दिखाई दी है मुद्द्तो बाद, अब तेरे ख़्यालों की गिरफ़्त में,मुझे दिल को ओर सताना भी नहीं।  ek aazadi ki kiran si dikhai di hai ,muddato baatd, ab tere khayalon ki girfat mein,mujhe dil ko aur sataana bhi nahi. गांठ पे गांठ ,गांठ पे गांठ, धागे सा उलझते जा रहा दिल, हम सुलझा तो नही पाएंगे,पर अब मुझे खुदको ओर उलझाना भी नही। Gaanth_Pe_gaanth ,2 ,dhaage sa uljhte jaa raha dil  hm suljha to nahi paayenge...