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गुप्तरत्न : हर किसी की ज़ुबान पर एक ही सवाल है ,

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गुप्तरत्न : हर किसी की ज़ुबान पर एक ही सवाल है , : https://m.starmakerstudios.com/share?recording_id=5066859144718304&app_name=sm&share_type=fb&fbclid=IwAR0Fp8apiO-IBplooYzKWIny... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#गुप्तरत्न :भटकने का इरादा यहाँ, और कितने साल है ?

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " https://m.starmakerstudios.com/share?recording_id=5066859144718304&app_name=sm&share_type=fb&fbclid=IwAR0Fp8apiO-IBplooYzKWInyENk28Cnbmf3sepUk1UCdmJj8NhZVQiWxbWg हर   किसी   की   ज़ुबान   पर   एक   ही   सवाल   है  , बदल   गया   है  , या   अपना   अभी   भी   वही   हाल   है  , बस   एक   तू   नहीं   समझता ,  नासमझ  , बाकी   तेरी   बेरुखी   का ,  मुझसे   ज़्यादा   तो   दुनिया   को   ख्याल   है   ॥ हर   किसी   की   ज़ुबान   पर   एक   ही  .............. कहते   है   यार   दोस्त   मेरे  , की   छोड़   दे   तेरी   गलियों   को   अब  , भटकने   का   इरादा   यहाँ ,   और   कितने   साल   है  ? एहसास   एक ,  बात   एक  , धड़कनो   की   आवाज़   एक   जानते   है   हम   मगर  , मेरा   हाल   है   मेरी   ज़ुबां   पर  , पर   तेरा   छिपा   हुआ   हाल   है  ........ बदल   गया   है   या   अपना   अभी   भी   वही   हाल   है  , तेरी   बेरुखी   का   मुझसे   ज़्यादा   तो   दुनिया   को   ख्याल   है  ... पूछते   है   भटकने   का   इरादा  

ज़िंदगी ,लो सफर पे आ गई

"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " https://m.starmakerstudios.com/share?recording_id=5066859144731600&app_name=sm&share_type=fb&fbclid=IwAR1a8AeICSOmCzhX9_NUYUWX-XzTrFeBPTDCmYl8l7qvYQe0Bg8OMcuSwhI कहीं   का   रंग   भा   गया   कही   का   रूप   भा   गया , कही   की   छावं   भा   गई  , कही   की   धुप   भा   गई  , आ   गई   ज़िंदगी  , लो   सफर   पे   आ   गई  , आ   गई   ज़िंदगी   लो   सफर   पे   आ   गई  ........... कही   का   रंग   भा  ............. सुबह   हुयी  , शाम   आयी  , रौशनी   भी   ढलने   लगी , लो   उम्मीदों   की   बस्ती   में   रात   आ   गई  , आ   गई   ज़िंदगी   लो   सफर   पे   आ   गई  ............ कहीं   का   छावं   भा  ................ मानकर   हम   तुझे ,  मंज़िल   चलते   है  , चलते   चलते   हमसफ़र   देख   क्या   डगर   आ   गई  , आ   गई   ज़िंदगी   लो   सफर   पे  ............. मंज़िलों   का   पता ,  न   ठिकाने   मिले  , इतनी   धीमी   रही   मेरी   रफ़्तार   की  , चलते   चलते ,  ज़िंदगी   की   रात   आ   गई  ..... आ   गई  

#गुप्तरत्न कैसे लिखे सरेआम ख्याल अपने .......इरादा भटकने का तेरी गलियों में और

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#गुप्तरत्न चुनिदा अल्फ़ाज़ ...आपके लिए

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