#गुप्तरत्न :भटकने का इरादा यहाँ, और कितने साल है ?
"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "
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हर किसी की ज़ुबान पर एक ही सवाल है ,
बदल गया है ,या अपना अभी भी वही हाल है ,
बस एक तू नहीं समझता, नासमझ ,
बाकी तेरी बेरुखी का, मुझसे ज़्यादा तो दुनिया को ख्याल है ॥
हर किसी की ज़ुबान पर एक ही ..............
कहते है यार दोस्त मेरे ,की छोड़ दे तेरी गलियों को अब ,
भटकने का इरादा यहाँ, और कितने साल है ?
एहसास एक, बात एक ,धड़कनो की आवाज़ एक जानते है हम मगर ,
मेरा हाल है मेरी ज़ुबां पर ,पर तेरा छिपा हुआ हाल है ........
बदल गया है या अपना अभी भी वही हाल है ,
तेरी बेरुखी का मुझसे ज़्यादा तो दुनिया को ख्याल है ...
पूछते है भटकने का इरादा तेरी गलियों में और कितने साल है .........॥
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