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#गुप्तरत्न : पतझड़ गवाह है,की किसी बाग में हमेशा तो बहार न रही

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गुप्तरत्न : पतझड़ गवाह है,की किसी बाग में हमेशा तो बहार न रही: तेरी "हाँ" की अब में तलबगार न रही , तेरी "न" ही अच्छी है, तेरी, "न" में मेरी हार न रही , तेरी  " हाँ&... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#गुप्तरत्न बस दिन आज हो

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " शायरी के भी अजब अंदाज़  हो , हो खुलेआम बातें ,फिर भी सब राज हो , कब  तक उड़ान भरेंगे इन छोटे छोटे परों से हम , उड़ना चाहते है यूँ , की यूँ बाज हो , क्या जरुरत है तकरीर की सर -ऐ -महफ़िल , खामोशियां बयां हो जाएँ ,आँखों से यूँ से बात हो, बस आज कल आज में बीत न जाएँ वक़्त ये , मिलो हमसे ,तो तुम मिलो यूँ , की बचा जिंदगी का ,बस दिन आज हो .......................

#guptratn शुरुवात में ही वाकिफ थे ,की खत्म जरुर होना था ,

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " शुरुवात में ही वाकिफ थे ,की खत्म जरुर होना था  , इस कहानी के किरदारों को ,जुदा जरुर होना था ll कहाँ नसीब होता है सबको ,मुझसा चाहने वाला, लाज़मी था ,तुझको तो गुरुर जरुर होना था , ख्वाव थे ,नींद टूट गई मेरी ,                                             कसूर तेरा नहीं, इनको तो चूर होना था , जितना लिखा था ,उतना तो मिल गया , जो नहीं था ,नसीब में, वो तो दूर होना था , तेरी जो ख़ुशी है ,दूरियां मुझसे  ये , इनकार कैसे करूँ ,मुझको तो मंजूर होना था ll

#गुप्तरत्न : दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी ,

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गुप्तरत्न : दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी ,: बहुत दूर तक आ गए ,अब मुश्किल है वापसी , दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , किसी और से दिल लगा भी लेते , पर सूरत ही मिली,न स... दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , बहुत दूर तक आ गए ,अब मुश्किल है वापसी , दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , किसी और से दिल लगा भी लेते , पर सूरत ही मिली,न सीरत ही आप सी , बहुत तेजी से चलता है ये, सामने से निकल जाता है , वक़्त की चाल ही है, साँप सी  बहुत दूर तक आ गए मुश्किल ...... संभाल के, टूट के फिर जुड़ता नहीं , भरोसे की फितरत है, कांच सी  जल गए  हम रूह तक , छुअन  में थी, आपकी आंच सी , दिल लगाते भी कैसे किसी और से  न सीरत ही मिली न सूरत ही आप सी , क्या-क्या खो दिया तेरे दर पे आकर , पता न चला ,अब भी ज़ारी है जांच सी , दोस्त हम बन न सकें ,न ही रही रंजिशे आपसी  दूर तक आ गए मुश्किल लग रही है वापसी  "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

देना है जो वो हर पैगाम लिखते है

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "