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#guptratn फिर आशिक़ सुबह और शाम नहीं देखते,
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By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " तो फिर आशिक़ सुबह और शाम नहीं देखते, अपनी ज़िद पर आ जाएँ ,तो फिर कुछ नहीं देखते, देखने के लिए तड़पते थे कभी जिनको,उनको भी पलटकर नहीं देखते दिल नाज़ुक इतना की क्या कहें हम, रहम दिल जानवर और इंसान नहीं देखते , करने पर आये जो नेकी किसी की , तो अपना नफा - नुकसान- नहीं देखते मकसद मान लिया सफर को,जिसने ज़िंदगी का, चलते रहते है, वो महफ़िल और राह-ए-वीरान नहीं देखते, गर मिलने की तड़प और तलब हो दिलों में, तो फिर आशिक़ सुबह और शाम नहीं देखते, जिनकी फितरत में हो नेक - नियति और भलाई का ज़ज्बा, वो नेकी करते वक़्त,अपना और अनजान नहीं देखते। अपनी ज़िद पर आ जाएँ ,तो फिर कुछ नहीं देखते
#गुप्तरत्न की हर कहानी में तुम हो
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#swal karun bhi to kaise tujhse
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