आया है राजा नया,अभी हाल में
" गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " मची है हलचल मैदान में, आया है नया राजा, अभी हाल में , तुम राजा हो जंगल के , ध्यान रहे , लोमड़ी भी घूमते है यहाँ ,हिरन की खाल में , शतरंज की बिसात है और रानी हो आप , चलना संभल के , बाज़ी पलट सकती है ,यहाँ एक गलत चाल में , दो मुहं सांप भी रहते है यहाँ , बस सुनना ,पर फंस न जाना ,इनकी बातों के जाल में , अभी न समझ सकोंगे तुम ये शायरी , आने लगेंगे समझ, ये अलफ़ाज़ कुछ दिन ,महीने य साल में , अभी मचेगी उथल -पुथल दिलों में , लिखा है किसके लिए , उलझ के रह जायेंगे सब इस सवाल में , आया है नया राजा ......अभी हाल में