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"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सबसे मिलते - मिलते सीखा म...

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सबसे मिलते - मिलते सीखा म... : gupt ratn hindi kavityan सबसे मिलते - मिलते सीखा मैंने भी , कभी खुदसे मिलना भी अच्छा होता है । दुनिया की भीड़-भाड़ और शोर से भी . शांत मन...

तुमने तो मुझे सदा विकल्पों मैं रखा

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ग़ज़ल "गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : गुप्त रत्न तुमने तो मुझे...गुप्त रत्न तुमने तो मुझे सदा विकल्पों मैं रखा   मैंने तेरे सिवा कोई विकल्प न रखा / तुमसे जो शुरू हुयी वो ...

"गुप्त रत्न "तुमने तो मुझे सदा विकल्पों मैं रखा

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गुप्त रत्न तुमने तो मुझे सदा विकल्पों मैं रखा   मैंने तेरे सिवा कोई विकल्प न रखा / तुमसे जो शुरू हुयी वो कायम है अब भी इस कहानी मैं और किरदारों को न रखा / झूठ और झूठ के सिवा तूने कुछ न कहा, मैंने सच की इम्तिहा तक सच को रखा / कैसा खुदा तेरा और क्या इबादत है तेरी एक पाक दिल का भी एहतराम न रखा / शौकीन है तू मीठे ,और मीठी बातो का , मेरा ज़ायका ही कड़वा था,मीठा न चखा / तुझे साहिल प्यारे थे तू किनारे पर चल दिया , मैंने तो तेरी आस पर था, पतवार छोड़ रखा / गुज़ारा था तेरा उन किनारो पर,मेरे बिना भी, इसलिए अब तक खुदको मझधार मैं है रखा / गुप्त रत्न  (©,
कागज़ पर उतार दी मैंने वो सारी खवाहिशे , जो मेरी ख़ामोशी कहने मैं नाकामयाब रही / 
हर बार यूँ ही खामोश बिखरे से चले आते है , लवो पर लेकर अधूरी सी बात चले आते है । जाते तो है ख़तम करने सिलसिला ये मुलाकातों का , वायदा ,मगर साथ अगली मुलाकात ,का लिए आते है ॥ हाथ मैं शराब लेकर भी करते है होश की बातें हम, उनके पास से क्यों ?बिन पिए बहके से चले आते है । आतें है उनके पास से, हम कुछ यूँ तिशनगी लेकर , जैसे सागर के पास से भी प्यासे चले आते है ॥ सौ सवाल दुनिया वालों के और खामोश है हम, जाते है जवाब लेने,और एक सवाल लिए आते है । इस पर भी नहीं,उस पर भी नहीं पहुंचे , कश्ती को यूँ मझधार पर छोड़कर चले आते है ॥ यूँ तो खुद नहीं जानती अपनी चाहत ए "रत्न " वहां से और, उलझे ख्यालात लिए चले आते है । धोखा करते है अपनों से ,मिलने के लिए उनसे , और खुदसे से फरेब करके चले आते है ॥ देंगे किनारा मेरी कश्ती को जो खुद डुब रहे है , झूठ है हम ,इस हक़ीक़त को लिए चले आते है है लवो पर लेकर अधूरी सी बात चले आते है , हर बार यूँ ही खामोश से चले आते है ॥ "गुप्त रत्न "