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आया है राजा नया,अभी हाल में

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" गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " मची है हलचल मैदान में, आया है नया राजा, अभी हाल में , तुम राजा हो  जंगल  के , ध्यान रहे  , लोमड़ी भी घूमते है यहाँ ,हिरन की खाल में , शतरंज की बिसात है और रानी हो  आप , चलना संभल के , बाज़ी पलट सकती है ,यहाँ  एक गलत चाल में , दो मुहं सांप भी रहते है यहाँ , बस सुनना ,पर  फंस न जाना ,इनकी बातों के जाल में , अभी  न समझ सकोंगे तुम  ये शायरी , आने लगेंगे समझ, ये अलफ़ाज़ कुछ दिन ,महीने य साल में , अभी मचेगी उथल -पुथल  दिलों में , लिखा है किसके लिए , उलझ के रह जायेंगे सब इस सवाल में , आया है नया राजा ......अभी हाल में

#गुप्तरत्न : "गुप्तरत्न" महक रहे है, तेरी खुशबू से अब तलक ,

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गुप्तरत्न : "गुप्तरत्न" महक रहे है, तेरी खुशबू से अब तलक , :   तू ही बता खुद को समझाएं कैसे l ये तड़प दिल की,तुम्हे बताएं कैसे ll खेल रहे है, इस क़दर मेरे दिल से l तेरी तरह हम भी,तुझे सताएं कैसे ll ... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न :लफ़्ज़ों में आग रखते है

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गुप्तरत्न ज़नाब याद रखो, उन किस्सों मैं आप ही जगह ख़ास रखते है ll, गुप्त रत्न " भावनाओं के समंदर मैं " दिल मैं अपने मुहब्बत और एहसास रखते है , दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम  वो आग रखते है ll  अँधेरी रातों को भी जो रोशनी   से जगमगा दे , कागज़ मैं  अपने ख्यालों के  वो  रोशन चिराग रखते है ll  जुगनू मैं भी चमक दिखती है जिनको  नज़रो मैं अपनी वो  तिशनगी -ए-तलाश रखते है ll  मातम भी मनाते है,यूँ की खबर न हो किसी को,  क्या जानो तुम,दिल मैं अपने अरमानो की लाश रखते है ll  सुन लो!  कहने वालों  हमको "आशिक़ मिज़ाज़ "  ज़ख्म देने वाले से  ही ,हम मलहम की भी आश रखते है ll हीरे है, हम छूटते  है हाथों से, पर टूटते नहीं कभी , हंसते रहते है , दिल मैं पर ज़ख्मो की खराश रखते है ll  जो बदनाम कर खुश हो रहे है,किस्से सुनाकर "रत्न" के ज़नाब याद रखो , उन किस्सों मैं आप  ही जगह ख़ास रखते है ll गिले भूलकर सारे , फिर  भी दुआएं करते है आपके हक़ मैं , कबूल हो दुआएँ ,आपके हक़ मैं  हम अरमान -ए -काश रखते है ll  https://m....

गुप्तरत्न : खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में,

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गुप्तरत्न : खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर न ज़्म में,: "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " उड़ेंगे कितने ऊपर आसमान पे, तुम  बस  उनकी उड़ान देखो,  बैठेंगे कब किस डाल पे, त... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#Guptratn#हर स्टूडेंट की दर्द भरी कहानी गुप्तरत्न की जुबानी- बाल-दिवस

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "                            पुरे साल मैंने क्या किया, कभी बाजू मैं बैठी लड़की को देखा, कभी क्लास बंक किया । जब होता था revision मेरी होती थी अक्सर तबियत ख़राब, लगती थी प्यास आती थी वाशरूम की याद, जब समझती थी टीचर चेप्टर हमने भी खूब उड़ाए पीछे बैठकर कागज़ के हेलीकाप्टर ॥ फ़िक्र किसने की कभी एग्जाम की पर खबर थी बराबर फेसबुक व्हाट्सप्प और इंस्टाग्राम की । खूब समय बिताया हमने टीचर्स को कॉपी करने मैं, दोस्तों के खेल  में ,हंसी और कभी झगड़ने में ॥ पर वक़्त ने भी गज़ब सितम ढाया , बीत गया साल अब फ़ाइनल एग्जाम का वक़्त आया ॥ न अब कोई सहारा न कोई अपना नज़र आया , जबb सामने question  पेपर मैडम ने थमाया ॥ हमने भी कर लिए हालातो से समझौता , बस हल किये प्र्शन दो या एकलौता ॥ अब आयी रिजल्ट की बारी , पड़ गयी साल भर की करतुते भारी। मैडम ने भी दिए भर भर के जीरो , असलियत सामने आ गई, बनते थे क्लास में बहुत हीरो ॥ अब आया वो दिन भी अलबेला, जब लगना था टीचर्स और पेरेंट्स का मेला ...