"गुप्त रत्न "
" भावनाओं का समंदर "
तेरी बरूखी ने एहसान कर दिया,
मेरा वक़्त मेरे ही नाम कर दिया //
मत रख इस क़दर कफस मैं ,अब
दिल ने बगावत का एलान कर दिया //
तेरी ही शक्ल होती है ,रूबरू ,बस
ख्यालो का नाम ग़ज़ल कर दिया //
गुनाहों का फैसला तो बांकी था अभी ,
क्यूँ साबित मुजरिम,मुझे सरेआम कर दिया //
दिए अल्फ़ाज़ इन ख्यालो को कैसे,मैंने
खोकर तुझमे,सुबह को शाम कर दिया //
तेरी बरूखी ने एहसान कर दिया,
मेरा वक़्त मेरे ही नाम कर दिया //
मत रख इस क़दर कफस मैं ,अब
दिल ने बगावत का एलान कर दिया //
तेरी ही शक्ल होती है ,रूबरू ,बस
ख्यालो का नाम ग़ज़ल कर दिया //
गुनाहों का फैसला तो बांकी था अभी ,
क्यूँ साबित मुजरिम,मुझे सरेआम कर दिया //
दिए अल्फ़ाज़ इन ख्यालो को कैसे,मैंने
खोकर तुझमे,सुबह को शाम कर दिया //
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