क्या बताएं हम क्या है ,कुछ खमोशिया और कुछ लफ्ज़ो का खेल है हम ,
साहिल पर बैठे सब देख रहे है ,बेखबर मझधार मैं खुद से खेल रहे हम//
गुप्त रत्न

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