"गुप्त रत्न " " भावनाओं के  समंदर मैं "







पिघलना मेरा तय है तेरी गर्म सांसो मैं ,

बहकना मेरा तय है तेरी मदहोश आँखों मैं

मंचलना मेरा तय है ,तेरी महकी बातों मैं ,

बोलेंगी खामोशी तय है,तेरी ही आवाजो मैं

डूबना तो तय है, अब तेरी इन आँखों मैं /

नहीं रहूंगी आम ,तय है,बन जाउंगी तेरे खासों मैं 

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