"गुप्त रत्न ": अपने ही ख्वाबों को टूटता देखा ,वक़्त को हाथों से ...
"गुप्त रत्न ":
अपने ही ख्वाबों को टूटता देखा ,
वक़्त को हाथों से ...: अपने ही ख्वाबों को टूटता देखा , वक़्त को हाथों से छूटता देखा , ज्यादा तो कुछ नही देख,इस कम उम्र मैं , पर पूछो न "रत्न"ने क्या ...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
अपने ही ख्वाबों को टूटता देखा ,
वक़्त को हाथों से ...: अपने ही ख्वाबों को टूटता देखा , वक़्त को हाथों से छूटता देखा , ज्यादा तो कुछ नही देख,इस कम उम्र मैं , पर पूछो न "रत्न"ने क्या ...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
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