"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "


हम नही संभलते ,तो तुम संभल जाओ ,
संभल नहीं सकते तो साथ गिर जाओ ,
आ जायेगा दर्ज़ा यूँ बराबर पर ,
हम नही बदलते ,तो तुम बदल जाओ ///

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