बेमकसद सफ़र की न थकान दे //
"गुप्त रत्न "
" भावनाओं के समंदर मैं "
मेरा सब्र जवाब अब दे रहां है ,
गुज़ारिश है यूँ मेरी न जान ले //
नही आता हाल-ए-दिल बयां करना ,
ख़ामोशी का यूँ मेरी न इम्तिहान ले ,//
जो कह सकती थी नज़रो से कह दिया ,
बार-बार ,यूँ मेरा न इक बयान ले //
नहीं चल सकते तो रुक जाते है,
बेमकसद सफ़र की न थकान दे //
बताऊँ क्या समन्दर की लहरों का हाल,
डूब रही हूँ,दिल मैं तू और न तूफ़ान दे //
मेरा सब्र जवाब अब दे रहां है ,
गुज़ारिश है यूँ मेरी न जान ले //
नही आता हाल-ए-दिल बयां करना ,
ख़ामोशी का यूँ मेरी न इम्तिहान ले ,//
जो कह सकती थी नज़रो से कह दिया ,
बार-बार ,यूँ मेरा न इक बयान ले //
नहीं चल सकते तो रुक जाते है,
बेमकसद सफ़र की न थकान दे //
बताऊँ क्या समन्दर की लहरों का हाल,
डूब रही हूँ,दिल मैं तू और न तूफ़ान दे //
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