"गुप्त रत्न "
" भावनाओं का समंदर "
क्या करूँ निगाहें कहना नही मानती ,
धडकने भी मेरी सुनना नही जानती ,
निगाहें छूती है तेरी,नज़र बहका रही
तेरे सामने मैं संभलना नही जानती /////
धडकने भी मेरी सुनना नही जानती ,
निगाहें छूती है तेरी,नज़र बहका रही
तेरे सामने मैं संभलना नही जानती /////
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