सता ले अभी,यूँ हाथ मैं तेरे डोर है ,
मानता नहीं,ये दिल भी तेरी ओर है //
तेरी निगाहों की शरारते ही है ये ,
धडकनों पर भी नहीं रहा जोर है //
हम भी जागने लगे अब रातों मैं
सोने नहीं देती,ये कर रही शोर है //
आजमाइश कहो इसे वक़्त की,
मेरा आएगा,अभी तेरा दौर है //
लाइलाज नही है ये मर्ज़ मेरा,
तू देता नही दवा,बात और है //
लग न जाएँ तुमको भी मर्ज़ मेरा,
चारागर बात काबिल ऐ गौर है //
गुप्त रत्न
(चारागर -इलाज़ करने वाला/दवा देने वाला
आजमाइश-परखना
मर्ज़ -बीमारी )

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