"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सता ले अभी,यूँ हाथ मैं तेरे डोर है ,मानता नहीं,ये...

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सता ले अभी,यूँ हाथ मैं तेरे डोर है ,
मानता नहीं,ये...
: सता ले अभी,यूँ हाथ मैं तेरे डोर है , मानता नहीं,ये दिल भी तेरी ओर है // तेरी निगाहों की शरारते ही है ये , धडकनों पर भी नहीं रहा जोर है...

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