गुप्तरत्न ज़नाब याद रखो, उन किस्सों मैं आप ही जगह ख़ास रखते है ll,
गुप्त रत्न " भावनाओं के समंदर मैं " दिल मैं अपने मुहब्बत और एहसास रखते है , दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम वो आग रखते है ll अँधेरी रातों को भी जो रोशनी से जगमगा दे , कागज़ मैं अपने ख्यालों के वो रोशन चिराग रखते है ll जुगनू मैं भी चमक दिखती है जिनको नज़रो मैं अपनी वो तिशनगी -ए-तलाश रखते है ll मातम भी मनाते है,यूँ की खबर न हो किसी को, क्या जानो तुम,दिल मैं अपने अरमानो की लाश रखते है ll सुन लो! कहने वालों हमको "आशिक़ मिज़ाज़ " ज़ख्म देने वाले से ही ,हम मलहम की भी आश रखते है ll हीरे है, हम छूटते है हाथों से, पर टूटते नहीं कभी , हंसते रहते है , दिल मैं पर ज़ख्मो की खराश रखते है ll जो बदनाम कर खुश हो रहे है,किस्से सुनाकर "रत्न" के ज़नाब याद रखो , उन किस्सों मैं आप ही जगह ख़ास रखते है ll गिले भूलकर सारे , फिर भी दुआएं करते है आपके हक़ मैं , कबूल हो दुआएँ ,आपके हक़ मैं हम अरमान -ए -काश रखते ...