#गुप्तरत्न बस दिन आज हो
"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " शायरी के भी अजब अंदाज़ हो , हो खुलेआम बातें ,फिर भी सब राज हो , कब तक उड़ान भरेंगे इन छोटे छोटे परों से हम , उड़ना चाहते है यूँ , की यूँ बाज हो , क्या जरुरत है तकरीर की सर -ऐ -महफ़िल , खामोशियां बयां हो जाएँ ,आँखों से यूँ से बात हो, बस आज कल आज में बीत न जाएँ वक़्त ये , मिलो हमसे ,तो तुम मिलो यूँ , की बचा जिंदगी का ,बस दिन आज हो .......................